विक्रेंदित सौर ऊर्जा संयंत्र कार्यक्रम

डीएसपीपीपी कार्यक्रम Programme

ईईएसएल के सौर कार्यक्रम के बारे में

भारत को अपनी बड़ी आबादी और तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था के साथ, ऊर्जा के स्वच्छ,सस्ते और विश्वसनीय स्रोतों तक पहुंच की आवश्यकता है। भारत उच्च सौर विकिरण क्षेत्र में स्थित है, जहां अधिकतर देशों की अपेक्षा अधिक सौर ऊर्जा क्षमता है। भारत में प्रति वर्ष लगभग 300 दिन धूप होती है, जिसका वार्षिक दैनिक वैश्विक सौर विकिरण औसतन 4 से 7 किलोवाट प्रति घंटे/प्रति वर्ग मीटर/प्रतिदिन है।

भारत की विशाल सौर क्षमता और स्वच्छ, विश्वसनीय और सस्ती बिजली का उपयोग करने की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए ईईएसएल का सौर कार्यक्रम सौर फोटोवॉल्टिक (पीवी) आधारित समाधानों के माध्यम से बिजली वितरण कंपनियों, सरकार, उद्योग, संस्थानों, खुदरा उपभोक्ताओं आदि के लिए विशिष्ट रूप से डिजाइन किए गए सौर पीवी(फोटो वैलेटिक) आधारित समाधान प्रदान करता है।

हमारा प्रस्ताव:

i. विकेंद्रित सौर पीवी आधारित बिजली परियोजनायें

इस कार्यक्रम के तहत, ईईएसएल और बिजली वितरण कंपनियां/बिजली उत्पादक कंपनियां या संयंत्र/उद्योग/संस्थाएं आदि एक बिजली खरीद समझौते पर हस्ताक्षर करेंगे, जिसके मुताबिक बिजली वितरण कंपनियों के उपस्टेशन के परिसरों में खाली/उपयोग में नहीं लायी जाने वाली/अतिरिक्त भूमि पर 0.3 मेगावाट से 10 मेगावाट तक की क्षमता की विकेन्द्रीकृत सौर पीवी आधारित बिजली परियोजनाओं को विकसित किया जायेगा। इन विकेन्द्रीकृत सौर पीवी आधारित बिजली परियोजनाओं से उत्पादित बिजली को कृषि फीडर को दी जायेगी जिससे किसानों, बिजली वितरण कंपनियोंऔर राष्ट्र को निम्नलिखित तरीकों से लाभ होगा। हांलाकि, ये लाभ इस तक सीमित नहीं है:

किसानों को दिन में गुणवत्तापूर्ण तथा विश्वसनीय बिजली मिलेगी।

पारेषण नेटवर्क की लागत में बचत बिजली वितरण कंपनियों के टीएंडडी (डिस्काम) हानि में कमी।

वर्ष 2022 तक 100 गीगावाट सौर क्षमता हासिल करने के देश के लक्ष्य में योगदान और वैश्विक स्वच्छ ऊर्जा क्षेत्र में भारत की स्थिति मजबूत करने में सहायक।

ईईएसएल 25 वर्षों की परियोजना अवधि के लिए संचालन और रखरखाव सहित वित्तपोषण, डिजाइन, इंजीनियरिंग, निर्माण, आपूर्ति, स्थापना, परीक्षण, कमीशन का कार्य करेगा। विकेन्द्रीकृत सौर परियोजनाओं द्वारा निर्यात की गई ऊर्जा का भुगतान बिजली वितरण कंपनियां/ग्राहक द्वारा 25 वर्ष की अवधि के लिए मासिक आधार पर किया जायेगा जिसकी कीमत केंद्रीय बिजली नियामक आयोग/राज्य बिजली नियामक आयोग द्वारा निर्धारित टैरिफ के बराबर या उससे कम होगी।

इस संबंध में, ईईएसएल और एमएसईडीसीएल ने पहले ही महाराष्ट्र में 500 मेगावाट क्षमता की विकेंद्रीकृत सौर परियोजनाओं के लिए पीपीए पर हस्ताक्षर किए हैं। वर्तमान में, महाराष्ट्र में लगभग 100 मेगावाट की संचयी विकेंद्रीकृत सौर परियोजनाएं स्थापित और चालू की गई हैं। ईईएसएल कई अन्य बिजली वितरण कंपनियों/राज्य सरकार/ग्राहकों के साथ ऐसे ही समझौते को क्रियान्वित करने की प्रक्रिया में है।

ii. रूफटॉप सौर पीवी आधारित बिजली परियोजनायें कार्यक्रम

इस कार्यक्रम के तहत, ईईएसएल अधिकतर पूंजी निवेश (कैपेक्स) और संचालन निवेश (ओपेक्स) मॉडल के तहत रूफटॉप सौर पीवी आधारित परियोजनाएं स्थापित करने के लिए सरकारी विभागों, उद्योगों, खुदरा उपभोक्ताओं आदि के साथ एक समझौता करेगा। ईईएसएल पांच वर्षों के लिए डिजाइन, इंजीनियरिंग, निर्माण, आपूर्ति, स्थापना, परीक्षण और उसे चालू करने सहित मरम्मत और रखरखाव (कैपेक्स मॉडल के तहत) और संचालन और रखरखाव 25 साल तक के लिए (ओपेक्स मॉडल के तहत) करेगा। उपभोक्ता/रूफटॉप मालिक कैपेक्स मॉडल के मामले में पूरा निवेश करेगा जबकि ओपेक्स मॉडल में ईईएसएल निवेश करेगा और उसका रखरखाव करेगा।

प्रभाव

ईईएसएल का वर्ष 2021 तक लगभग 2,000 मेगावाट क्षमता की सौर परियोजनाओं की स्थापना करने का एक महत्वाकांक्षी लक्ष्य है, जिससे करीब 3066 गीगावाट की स्वच्छ बिजली उत्पादित होगी और वार्षिक आधार पर लगभग 25 लाख टन कार्बन उर्त्सजन कम होगा। विकेंद्रीकृत सौर परियोजनाएं कृषि फीडर के सौरकरण को सुनिश्चित करेंगी, जिससे किसानों को खेती आदि गतिविधियों के लिए विश्वसनीय बिजली उपलब्ध होगी। साथ ही, इन सौर कार्यक्रमों से राज्य सरकार पर बिजली उत्पादन का कम बोझ पड़ेगा। इस प्रकार, राज्य सरकार पर सब्सिडी का बोझ  कम होगा। बिजली वितरण कंपनियों को टीएंडडी हानि कम होगी और नेटवर्क बढ़ाने की लागत में भी बचत होगी।