स्मार्ट मीटर राष्ट्रीय कार्यक्रम (एसएमएनपी) का लक्ष्य भारत में 25 करोड़ पारंपरिक मीटर को स्मार्ट मीटर से बदलना है। स्मार्ट मीटर एक वेब-आधारित निगरानी प्रणाली के माध्यम से जुड़े हुए हैं, जो यूटिलिटीज के वाणिज्यिक नुकसान को कम करने, राजस्व बढ़ाने और बिजली क्षेत्र में सुधार के लिए एक महत्वपूर्ण उपकरण के रूप में काम करेंगे। स्मार्ट मीटर को लगाने के ईईएसएल कारोबारी मॉडल राजस्व संग्रह की वर्तमान मैनुअल प्रणाली में परिवर्तन किया जा रहा है। मैनुअल प्रणाली से कम बिलिंग आती है और कलेक्शन क्षमता कम होती है।
यह कार्यक्रम ‘कॉस्ट प्लस’ यानी लागत मूल्य सहित कीमत के दृष्टिकोण पर आधारित बीओओटी मॉडल के तहत कार्यान्वित किया जा रहा है, जिसका अर्थ है कि सभी पूंजीगत व्यय और संचालन व्यय का वहन ईईएसएल करेगा और राज्यों या यूटिलिटीज को अग्रिम निवेश की आवश्यकता नहीं होगी।
ईईएसएल ने आंध्र प्रदेश, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, बिहार,एनडीएमसी-दिल्ली, राजस्थान, तेलंगाना के साथ स्मार्ट मीटर के लिये और उत्तर प्रदेश तथा त्रिपुरा के साथ प्रीपेड मीटर के लिये समझौता ज्ञापन पत्र/समझौतों पर हस्ताक्षर किये हैं।
ईईएसएल की स्मार्ट मीटरिंग परियोजना द्वारा, एनडीएमसी पहला संस्थान बन गया है, जिसने बिना किसी अग्रिम निवेश के अपने सभी उपभोक्ताओं को स्मार्ट मीटर दिये हैं।
इस कार्यक्रम के तहत, ईईएसएल ने 1.5 करोड़ स्मार्ट मीटर की खरीद प्रक्रिया पूरी कर ली है। ईईएसएल ने अब तक इस कार्यक्रम के तहत उत्तर प्रदेश, नई दिल्ली, हरियाणा और बिहार में 13.2 लाख से अधिक स्मार्ट मीटर लगाए हैं।